Saturday, July 14, 2007

हिंदी ब्‍लॉगिंग का साधुवाद युग अब बीत गया

 

दिल्‍ली में ब्‍लॉगरवार्ता हुई, जमकर हुई। उसकी रपट अभी बनी नहीं है क्‍योंकि अभी उसे जज्‍़ब ही कर रहे हैं- पच जाएगा तो देखेंगे कि रपट बनती है कि नहीं। शामिल लोगों को लिंक देने का दायित्‍व बनता है सो हमने अंग्रेजी में दे ही दिया है। वैसे इसे हमारी वार्ता रपट न माना जाए

एक अच्‍छी बात कि जो बातचीत हुई उसके गंभीर हिस्‍से में एग्रीगेटरों पर तो बात हुई ही पर उससे आगे की भी बात हुई। काफी देर तक तब गंभीरता की प्रतिमूर्ति बने सृजन हिंदी के चिट्ठापाठक बढ़ाने की जिद पाले हुए थे तो कई बातें सामने आईं।

एक बात साफ तौर पर यह दिखी कि कोई भी एग्रीगेटरों के भरोसे नहीं रहना चाहता सब सर्च इंजनों की ओर ताक रहे थे। राजेश ने बताया कि शकीरा इसका इलाज है। अपनी अल्‍पज्ञता छिपा सकता हूँ पर सच कहूँ, मुझे नहीं पता कि शकीरा है कौन :(   पर संदर्भ से कह सकते हैं कि कोई सुंदरी उंदरी होंगी- राजेश ने बताया कि शकीरा की तस्‍वीर वाली उनकी पोस्‍ट पर लोग बेतहाशा पहुँचे- इसलिए हमें ऐसा लिखना चाहिए कि कुछ खोजते लोग भटक कर इधर भी आ जाएं। मैटा टैग व भ्रमित करते टैग देने पर भी बात हुई, जब न रुका गया तो शायद अविनाश ने कहा कि भई बहला कर क्‍यों लाते हो- सर्च इंजिन समझदार बनते जा रहे हैं इसलिए उसको किनारा करने से अच्‍छा है कि जैन्‍यूअनली कंटेंट उपलब्ध कराया जाए और फिर आई असली बात.... और वह ये कि भाषा, विवाद, इस उस के डर से जो लिखने में कोताही करेगा उसके कंटेट की किसी को दरकार नहीं। फिर पंचलाइन आई कि हिंदी ब्‍लॉगिंग का साधुवाद युग अब बीत गया। समीरजी तो हो गए बेरोजगार :)

 

13 comments:

Udan Tashtari said...

अलविदा साधुवाद. बहुत साथ दिये-कुछ दूर और चलते तो ठीक था..:)

Anonymous said...

यह एक और 'बाई डिफ़ाल्ट'खुराफ़ाती शीर्षक। न अभी साधुवाद के दिन पूरे हुये न समीरलाल के। अभी तो ये अंगड़ाई है।

Anonymous said...

अधूरी पोस्ट।
फिर भी अच्छा लिखा आपने।

साधूवाद|

Anonymous said...

साधुवाद शायद उन ७०० के लिये बीता हो जो यहाँ मौजूद हैं... कई हजार जो अभी आने हैं, का स्वागत तो साधुवाद से ही होगा...
समीर जी बेरोजगार नही होंगे...उनका काम बढ जायेगा।

Anonymous said...

अच्छी संगत बैठ कभी..संगी बदले रूप.. जैसे आम के साथ मीठी हो गई धूप.
साधुवाद
बाई डिफ़ाल्ट स्वीकार करो

Anonymous said...

त्‍वरित रिपोर्ट और निकष के लिए आपको साधुवाद।

eSwami said...

ऐसी मीटिंग्स का 'औचित्य' सिद्ध करने के लिये साधूवाद. अपना टाईम ले कर रपट बनईयेगा कोई जल्दी वाली बात नही है.

debashish said...

Apun ne post ki pehli chuski hi li thi ki aapne to pyala hi palat diya. Vistaar se likho sir :)

Arun Arora said...

ठीक है जी,बहुत बढ्या अब और लिखते भी तो क्या लिखते,तेरी बेवफ़ाई,
या फ़िर फ़ुरस्तिया जी के शब्दो मे
" अभि तो ये अगंडाई है
टुच्चे है हम यार बहुत
ये नारद की गहराई है
ऐसे ही है हम जमा यहा
ये जरा सी झलक दिखाई है"
यही लिखना चाहते थे ना आप अनूप जी..:)

Pratik Pandey said...

ब्लॉगर मीट की सरसराती रपट को पढ़ विस्तृत रपट पढ़ने की इच्छा बढ़ गई है। वैसे, भले साधुवाद युग बीत जाए, समीरलाल जी का युग नहीं ही बीतेगा।

Rajesh Roshan said...

इन्टरनेट के बारे में जो मैं जनता हु वो है Content is King. आप अच्छा लिखे लेकिन आपको Technical aspects जरूर जानने चाहिऐ. वैसे फौरी रिपोर्ट के तौर पर अच्छा लिखा है आपने :)

Satyendra Prasad Srivastava said...

शकीरा से हिट भले मिल जाये लेकिन पढ़ेगा कौन? जब शकीरा वहां नहीं मिलेगी तो लोग वापस लौट जाएंगे। मुझे लगता है कि महत्वपूर्ण हिट्स की संख्या नहीं बल्कि पाठकों की तादाद है, जो सचमुच आपको पढ़ते हैं। ब्लॉग पर आते ही वापस लौट जाने वालों के हिट लेकर क्या करेंगे?

आलोचक said...

खाली पीली घोषणा से साधुवाद युग नही निपटने वाला भाई। क्योकि जहाँ तक हमे लगता है अभी इस युग का आनन्द लेने वालो की तादाद बहूत ज्याद है। और आप क्यों उनके "एक लीक पर चलने वाली जिन्दगी" में खलल डालना चाहते हो। धुरविरोधी को भूल गये क्या? वह भी साधुवाद युग को निपटाने के चक्कर मे मारा गया या फिर कहें कि शहीद हो गया।