टिप्पणी चिंतन के प्रत्येक पुरोधा ने बताया कि परस्पर पीठ खुजाना है, उधार चुकाना है, एक दूसरे को बढ़ावा देना है। देखा जाए तो भला काम है। पर इसी किस्म का एक और काम है जो इसी तरह एक दूसरे की पीठ खुजाना है, उधार चुकाना है और भला काम है पर दिक्कत है कि अधिक कसाले काम है और कुछ ज्यादा सृजनात्मकता की मॉंग करता है और वह है परस्पर लिंकन। यानि लिंक देना और लिंक लेना। वैसे विवादों से यह सधता होगा पर फिलहाल हम उस पर बात नहीं कर रहे हैं। हम तो इस सवाल पर मगजमारी कर रहे हैं कि ये टैक्नोराटी जो इन लिंकन-प्रतिलिंकन की चाल पर नजर रखता है उससे मूल्यांकन करता है वो भला इतना हिंदी विरोधी क्यों है। एकाध बिरले को छोड़ दें तो अधिकतर चिट्ठों के परिचय में कोयले से भरी मॉंग की तरह सजा होता है - नॉट इन टॉप 100000।
यानि हिंदी चिट्ठे चोटी के 100000 चिट्ठों में भी शुमार नहीं होते। ऐसा क्यों भई... कोई तो बताए।
अब उदाहरण के लिए चिटृठा चर्चा पर विचार करें जो अंतत: एक चिट्ठा ही है। एक बेहद लोकप्रिय चिट्ठा है खूब पढ़ा जाता है और खूब लिखा जाता है। अब तक 340 पोस्ट लिखी जा चुकी हैं। यदि टैक्नोराटी की ही भाषा में बात करें तो यह बहुत से हिंदी चिट्ठाकारों के ब्लॉग रोल में भी है। और लिंक- अब क्या कहें यह तो है ही लिंक (आऊटवर्ड) देने के लिए और इनवर्ड लिंक भी मिलते ही हैं। लेकिन यदि टैक्नोराटी जाकर झांकें तो मिलता है ये-
अब कोई टेकीज में से हमें बताए कि कैसे इतना लोकप्रिय चिट्ठा चर्चा 4 लिंक दिखा पा रहा है ( वैसे नीचे खुद ही 664 लिंक बताता है) और रैंक 10,38,416 जबकि मुझ जैसे कुनाम ब्लॉगर तक का रैंक डेढ़-पौने दो लाख के लपेटे में है। पर इसका मतलब ये नहीं कि टैक्नोराटी की जरूरत नहीं है। है और बिल्कुल है। हमें चाहिंए कि परस्पर रुचि के विषयों पर लिखें और यही नहीं वरन बाहर के लोगों की रुचि के विषयों पर ध्यान दें ताकि ये जो टैक्नोराटी हिंदी ब्लॉगिंग का करबला बना हुआ है वहाँ कुछ सुधार हो। वैसे एक मजेदार पोस्ट इस लिहाज से मानसजी कि यह पोस्ट है जिसमें उन्होंनें हर चिट्ठे को गिना दिया है जिससे शायद सबका टैक्नोराटी हित सधता हो (शायद इसलिए कि मेरे लिंको की जो सूची टैक्नोराटी पर थी उसमें तो इसका उल्लेख पता नही क्यों नहीं था) या फिर टेक्नोराटी फेवरेट एकसचेंज के इस कार्यक्रम पर विचार करें।
4 comments:
आईडिया तो बढ़िया है. इंग्लिश ब्लॉगिंग में तो लिंक प्रथा बड़ी जोरों पर है ही. तरह तरह के नुस्खे अपनाये जा रहे है-२००० ब्लॉगर टाईप. हम लोगों को भी इस दिशा में सार्थक प्रयास करना होंगे.
-अच्छा विचार लाये हैं.
तो ठीक रहा फिर समीर भाई
हम आप को फेवरिट में टांक आए हैं, आप भी चाहें तो बदला उतार सकते हैं! वैसे मेरे लिए ये केवल एक प्रयोग है। पर आजमाना चाहिए।
भईया यदि आप मेरे चिट्ठे की पिछली सारी पोस्टें देखें तो पाएंगे कि मैं जब भी किसी पोस्ट अथवा चिट्ठे का जिक्र करत हूँ तो लिंक जरुर देता हूँ, वह इसी नुस्खे का हिस्सा है। मैं इस लिंक प्रथा का प्रबल समर्थक हूँ।
टैक्नोराती हिन्दी से भेदभाव करता है इसका एक उदाहरण देता हूँ। ब्लॉगर ब्लॉग में जो Label दिए जाते हैं टैक्नोराती उन्हें Tag के रुप में उठा लेता है लेकिन हिन्दी में दिए Labels को नहीं उठाता। हिन्दी के लिए बाकायदा अलग से टैक्नोराती टैग लगाने पड़ते हैं।
उधार लौटा दी है भाई!! देखना टेकनोराती पर. :)
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