वैसे सच कहें तो हमें तो मल्टी नेशन एन.जी.ओ. जो हैं वे बहुराष्ट्रीय कंपनियों ही की तरह बहुत खतरनाक किस्म का कुचक्री गोरखधंधा लगता है।
इसी ग्रीनपीस की कल की एक प्रेस विज्ञप्ति ने थोड़ी आशा भी पैदा की, ये कोई हमारा अंतर्विरोध नहीं है बस इतना है कि अब इस पैंतीस की उम्र में उतने सिनीकल नहीं रह गए हैं। जिनसे सिद्धांतत: असहमति है उसके भी अच्छे कर्मों को धतकरम कह कर मटिया नहीं देते हैं। इस प्रेस रिलीज के अनुसार सूचना के अधिकार के मार्फत ग्रीनपीस ने केंद्रीय सूचना आयोग से अपने पक्ष में फैसला हासिल किया है जिसके कारण अब जैव प्रोद्योगिकी विभाग को बायोटैक कंपनियों के शोधों की उन सूचनाओं का खुलासा आम लोगों के सामने करना होगा जिनमें इन कंपनियों के उत्पादों के नुकसानदेह प्रभावों को दर्ज किया गया है। जब से हमारी मार्केट के भुट्टे वाले ने केवल अमेरिकन कार्न को हीबेचना शुरू किया है हम तो तभी से पिनके पड़े हैं अब इस खबर ने फिर से बता दिया है कि जेनेटिकली इंजीनियर्ड कार्न बेहद नुकसानदेह है। सावधान....
अंग्रेजी में पूरी प्रेस विज्ञप्ति यहां पढें

2 comments:
अब इस पैंतीस की उम्र में उतने सिनीकल नहीं रह गए हैं। जिनसे सिद्धांतत: असहमति है उसके भी अच्छे कर्मों को धतकरम कह कर मटिया नहीं देते हैं
-यही परिपक्वता की निशानी है, सहेजे रखें. ग्रीन पीस मेरे ख्याल में एक जीवन शैली की परिकल्पना है, जिसके दूरगामी परिणामों को नकारा नहीं जा सकता. बस आज अपना अपना नज़रिया है.
जहां तक मेरी जानकारी है ग्रीनपीस बहुत प्रसिद्धी पा चुका है अन्य देशों में अब ये अच्छे काम की वजह से है या फिर अच्छे प्रचार की वजह से ये तो नहीं मालूम . चलिये देखें यहां क्या गुल खिलाता है ग्रीनपीस.
Post a Comment