हमें आशंका तो पहले ही थी। दर्ज भी कर चुके थे। और यह देर सवेर होना भी था। हुआ क्या....। बड़े समीक्षकों की नजर ब्लॉग की दुनिया पर पड़ गई है। कल के दैनिक हिंदुस्तान में प्रो. सुधीश पचौरी ने हिंदी के कुछ ब्लॉग लेखकों पर नजर डाली है। आप भी एक नजर डाल लें।
वैसे ये भी एक मोहल्ला विवाद ही है। पर अविनाश का मोहल्ला नहीं, सराए वालो का साईबर मोहल्ला जिसमें दिल्ली के वंचित वर्ग के बच्चों के ब्लॉग लिखने की एक परियोजना साईबर मोहल्ला नाम से चलाई जाती है। जिनमें से कुछ चयनित सामग्री का प्रकाशन पुस्तकाकार में किया जा रहा है। जिसकी समीक्षा स्वरूप यह लेख लिखा गया है। यूँ यह मुख्यधारा चिट्ठाकारी पर आधारित नहीं है पर दिशा इधर ही है। वैसे स्वागत किया जाना चाहिए या पता नहीं.....। सावधान ब्लॉगर समुदाय....बड़े समीक्षकों की नजर अच्छा शकुन ही हो यह जरूरी नहीं।
पूरा लेख इस नीचे की छवि पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।
11 comments:
बड़े समीक्षकों की नजर अच्छा शकुन ही हो यह जरूरी नहीं।
हाँ, मगर सकारात्मक सोच रखने में भी तो कोई परेशानी नहीं.
इसी बहाने प्रचार प्रसार बढ़ता रहे. लेख को हम लोगों तक पहुँचाने के लिये आभार.
मसिजीवी, आप इतने संशयजीवी क्यों हैं?
अविनाश
बुद्धिजीवी के संशय आधारहीन नही होते ।
या कहूँ मसिजीवी के संशय आधारहीन नही होते। लेख की टोन मे एक हलका कटाक्ष भी है।
संशयजीवी...हॉं अविनाश थोड़ा हूँ तो। या शायद ज्यादा हूँ।
वैसे पचौरीजी विश्वविद्यालय में हमारे सहयोगी हैं और हमारे शिक्षक तो हैं ही...इसलिए कह सकता हूँ कि मुख्यधारा हिंदी आलोचना में चिट्ठाकारी को समझ पाने की सबसे ज्यादा गुंजाइश उनसे ही है तब भी चूंकि हम अपने घमासानों में चिट्ठाजगत के अपने पाकिस्तान खड़े करने में लीन हैं इसलिए ये अपना कर्तव्य जान पड़ा कि आगाह तो किया ही जाए।
सब ठीक लेकिन यह समझ नहीं आया कि लेख का शीर्षक "साइबर संसार के ब्लॉग लेखक" काहे रखा। क्या साइबर संसार के बाहर भी ब्लॉग लिखे जाते हैं?? ;) ये बात इनसे पूछी जानी चाहिए!!
जी हाँ, कल यह लेख हिन्दुस्तान टाईम्स में दिखा। चलो ठीक ही है दिग्गजों की नज़रें भी इनायत हुयीं। वैसे यह सीमाओं और दिग्गजों से बंधने वाली विधा है नहीं। जुड़ते रहेंगे ग़ैर दिग्गज भी, और शायद यही बातें इसे अलहदा और लोकप्रिय भी बनायेंगी।
अमित जी की बात भी ग़ौर फर्माने वाली है ;)
समाचारों में चिट्ठा, और चिट्ठे पर समाचार।
सुधीश पचौरी जी का जो लेख है वह सराय पर छपे लेखों के संकलन 'बहुरुपिया शहर' के संदर्भ में खासकर है। ब्लाग के बारे में उनकी जानकारी बस इतनी ही है जितना वे लिखते हैं-
हिंदी ब्लाग लेखक की खाशियत यह है कि इसका जन्म सराय के साइबर स्पेस में ही हुआ है
ब्लाग के बारे में परिचयात्मक लेख भले ही कोई लिख ले लेकिन अंतत: ब्लागर ही इसकी कहानी लिखेंगे!
अमित एक वजह इस शीर्षक की जो नजर आती है वह यह कि ये भले ही हाशिए के बलॉग लेखन से ली गई कहानियॉं हैं पर हैं छापे में इसलिए स्रोत की तरु इशारा करने के लिए- वैसे ब्लॉग की कम समझ और शब्द को सबसे पहले गिराने वाले बड़े समीक्षक बनने की चाह तो रही ही होगी।
अनूपजी यहॉं स्पष्ट करना आवश्यक है कि ये सराए के छपे लेखो का नहीं व्लॉगित लेखों (नैरेटिव्स) का छापे में संकलन है, इस मायने में हैं तो ब्लॉग ही पर 'अपने कब्जे' की चाह के चलते अंकुर व सराए ने इसे नारद (या बृहत ब्लॉगजगत पर) नहीं डाला हुआ है।- रविकांत के शब्दों में इस परियोजना का परिचय है-
पाठकों को बता दूँ कि सायबर मोहल्ला सराय और अंकुर का
संयुक्त प्रॉजेक्ट है, जिसकी प्रयोगशालाएँ, दिल्ली की तीन बस्तियों में चल रही हैं. इन तीन बस्तियों
के नाम हैं: लोकनायक जयप्रकाश कॉलोनी, दक्षिणपुरी, और नांगला माची, जो अब उजाड़ी जा चुकी
है.
इस सब से थोड़ा कन्फ्यूजन सा हो रहा है, अगर मसीजीवी जी 'बहुरुपिया शहर', सराय और उसके प्रोजेक्टस के बारे में थोड़ा और अलग से एक लेख लिख कर बतायें तो हमारी जानकारी के लिये अच्छा होगा।
सायबर संसार के ब्लाग लेखक..भई सायबर संसार के अन्य लेखक(गैर ब्लाग लेखक) भी तो होते हैं...तो ब्लागियों को specify करने के लिये शायद यह शीर्षक दिया हो
साईबर मोहल्ला की पूरी जानकरी के लिए यहॉं देखें
Post a Comment