Sunday, July 22, 2007

Alt+Shift की पलटी और ' नितांत निजी' पीड़ा

सामाजिकता की गठरी सर पर लादे लोग माफ करें इस कीबोर्डपीट ने आज जिस विषय पर लिखा उसमें किसी बृहत्‍तर समाज की पीड़ा के संधान की कोई गुंजाइश नहीं है, कतई नहीं। इसमें बक्‍सर या मोतीहारी के बिरसउ या बघीरा की गरीबी पर विचार नहीं है न ही मॉल्स या ग्‍‍लोबलाईजेशन पर। समस्‍या इतनी मेरी अपनी है कि उसमें मेरे आस पास के अपने तक शामिल नहीं। मेरा चिट्ठा है इसलिए अपनी इस नितांत निजी समस्‍या तक को लिख सकता हूँ लिख रहा हूँ। समस्‍या है कि जब मैं लिखता हूँ, टिप्पियाता हूँ या कंप्‍यूटर पर कोई भी काम करता हूँ तो दो भाषाओं के बीच अटपटा सा दोलन करता हूँ। मेरी अंगुलियॉं ये दोलन करती हैं पर अक्‍सर दिमाग ये दोलन नहीं कर पाता और यकीन जानिए उस समय मुझे ये समस्‍या दुनिया से गरीबी मिटाने से भी ज्‍यादा परेशान करती है- क्‍या करें।

थोड़ा विस्‍तार से बताता हूँ। कंप्‍यूटर का कीड़ा अपना कुछ पुराना है बहुत पहले काम कर रहे हैं इसलिए पुराने कीबोर्ड रेमिंगटन की आदत है, आईएमई का इस्‍तेमाल करता हूँ जिसमें ALT + SHIFT से टॉगल किया जाता है यानि ये मारा ALT + SHIFT और आपकी दुनिया बदल गई आप हिंदी से अंग्रेजी हो गए।
मोतीहारी से अचानक ही हम ट्राइफल्‍गर स्‍क्‍वेयर पहुँच जाते हैं या कम से कम गुड़गांव या दिल्‍ली के माल्‍स में तो पहुँच ही जाते हैं दिक्‍कत ये है कि ससुरा अपना हंडला (हंडला बोले तो दिमाग) इतनी तेजी से पलटी खा नहीं पाता और हमारी गत अक्‍सर वो ही हो जाती है जो खेतों में दिशा मैदान करने वाले की अंग्रेजी कमोड के सामने होती है- क्‍या करें-कैसे करें। थोड़ी देर में जुगाड़ कर अभ्‍यस्‍त तो हो जाते हैं पर तब तक गड़बड़ की आशंका तो रहती ही है।

सबसे दिक्‍कत वाली गत तब होती है जब थोड़ी सी देर के लिए ALT + SHIFT करते हैं। ऐसा कई बार मतलब रोजाना 10-20 बार होता है कि लॉगइन करते हैं उंेपरममअप लिखकर, नहीं समझ आया न अरे भई masijeevi को रेमिंगटन में लिखें तो ऐसे ही लिखना होता है। पूरा लिखकर देखते हैं फिर कोफ्त खाते हुए ALT + SHIFT करते हैं और फिर eflthoh लिखकर मुंडी उठाते हैं- धत्‍त तेरे की इस बार ALT + SHIFT के साथ कीबोर्ड बदल गया और लिख वही गए यानि देवनागरी का मसिजीवी पर रोमन में ये कमबख्‍त eflthoh ही होता है। अब अगर आप डूबकर लिख रहे हैं तो आपको बार बार ALT + SHIFT करना होता है और हर बार ऐसी ही भद्द पिटती है।


समस्‍या ये है कि हम त्रिशंकु हैं- हम नहीं जानते कि हम ALT + SHIFT के इस ओर हैं या उस ओर, दिक्‍कत ये भी है कि असल दुनिया में ALT + SHIFT जैसे सीधे सरल समाधान भी नहीं हैं आप कंप्‍यूटर क‍ी गिटपिट में इंटरनेट पर मोतीहारी का घीसू ला सकते हैं पर ALT + SHIFT से मोतीहारी के घीसू के घर कंप्‍यूटर पहुँच नहीं जाएगा। आप दिमाग झटककर झट से मैट्रो वॉक माल के भीतर घुस सकते हैं ऐश्‍वर्य देख व भोग सकते हैं- बेअरबैक व स्‍पैगेटी स्‍ट्रैप निहार सकते हैं और फिर वापस आ झट कक्षा में समता पर लेक्‍चर झाड़ सकते हैं ये आपके लिए ALT + SHIFT जैसा सरल है सहज है पर क्‍या इससे दुनिया भी ALT + SHIFT हो पाती है- दुनिया का सोर्स कोड हमारे पास नहीं, शोषण के प्रोग्राम कर कोई हैक नहीं- इस प्रोग्राम में आप ALT + SHIFT के किस ओर हैं आप बखूबी जानते हैं मानें या नहीं।

10 comments:

रिपुदमन पचौरी said...

मेरी तो घंटी बज गई दिमाग की....
बात सोचने वाली तो है....

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

हे भाई, यह समस्या मेरी भी है. पर समझ में यही नहीं आता कि करें क्या? कोई उपाय तो सुझाइए!

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब! बहुत सही!!

वैसे की बोर्ड की बात करें तो हम हिन्दी लिखने के लिए हिन्दी राईटर का प्रयोग करते हैं और इगलती हम से भी हो ही जाती है।

Udan Tashtari said...

हम बारहा इएतेमाल करते हैं. F11 से टोगल होता है. मगर कई बार रोमन में लिख रहे होते हैं और देवनागरी चालू होता है चैट पर. जब तक नजर जाये, मैसेज चला गया...फिर सॉरी सॉरी.. :)

debashish said...

टॉगल के पचड़ों से बचिये, तख्ती आज़माईये हुज़ूर। और हमार जैसन लोगन का सोची, इंडिया में कीबोर्ड, यहाँ घर पर डेल का लैपटॉप और आफिस में अगड़म बगड़म कीबोर्ड विन्यास का इंटेल लैपटॉप। कभी माउस की पीठ पर ऊंगली फिराने लगते हैं कभी तो कभी की कुंजी को तरस जाते हैं :)

Neeraj Rohilla said...

हम भी समीरजी की तरह बारहा के दीवाने हैं, F11 से सारे काम हो जाते हैं, लेकिन आपकी वाली समस्या फ़िर भी कभी कभी आ ही जाती है ।

इसका इलाज होना चाहिये कि माथे पर एक इलेक्ट्रोड फ़िक्स कर दो, हिन्दी सोच रहे हो तो हिन्दी में लिखे, अंग्रेजी में सोचो तो अंग्रेजी में लिखे...:-)

Arun Arora said...

Bhai अब ये gadabad तो होती ही रहती है .kyaa kare.

अनूप शुक्ल said...

कभी-कभी चिंता करना भी अच्छा रहता है। ये बात् ब्लागर् मीट् में पूछ लेते ।:)

Neelima said...

हे प्रभो ! दुनिया से ऑल्ट शिफ्ट का च्क्कर कब मिटेगा कब होगी दुनिया बराबर समतल ! कब होगी कब.. होगी...

Anonymous said...

जब आप ओल्ट + शिफ्ट से टोगल करते हैं, तो यह पता लगाना कि आप ट्रफाल्गर स्क्वेयर (अंग्रेजी) में हैं या लखनऊ के चौक (हिंदी) में बहुत आसान है। कंप्यूटर स्क्रीन के ठेठ नीचे की नीली पट्टी (जिसे टाक्स बार कहा जाता है, और जिसमें स्टार्ट आदि बटन होते हैं) को देखिए। उसमें भाषा प्रतीक दिखाई देगा, HI हिंदी के लिए, और EN अंग्रेजी के लिए। हर बार जब आप आल्ट-शिफ्ट करें यह प्रतीक बदलेगा। बिल्लू बाबू (बिल गेट्स) ने हर चीज का इंतजाम किया है, आप चिंता क्यों करते हैं इतना!!